The Union Cyanide by Nilesh Mishra

कहानी 25: यूनियन सायनाइड

किसी डिपार्टमेंट में एक यूनियन हुआ करती थी, नेतामल जिसके अध्यक्ष थे । नेतामल अधिकारियो के पसंदीदा नेता थे क्योंकि जनाब की फ्रेंडलिस्ट में अधिकारी mutual फ्रेंड थे और कर्मचारी फॉलोवर्स । नेतामल जी के अध्यक्ष पद रहते हुए जो कीर्तिमान स्थापित हुए उनमे से कुछ यूँ थे- सभी कर्मचारियों को नव वर्ष का कैलेंडर प्राप्त करवाना, खिचड़ी की छुट्टी declare कराना, सातवे पे कमीशन में 2 रूपये की वृद्धि करवाना, फिटमेंट फैक्टर 2.57 से 2.570000 करवाना, अप्रैल में सामूहिक हड़ताल का प्रस्ताव रख के एक दिन दिन पहले विड्राल, income टैक्स का स्लैब रेट में बचत की सीमा में 100 रूपये की छूट इत्यादि। कर्मचारियों की बाकि समस्याओं के निवारण हेतु इनका यही मत था कि ज्यादा सुविधाएं कर्मचारियो को देंने से सरकार को लगेगा कि ज्यादा लोग भर्ती हो गए है तो रिक्रूटमेंट होगा नही और बेरोजगारी बढ़ने से GDP और विकास दर कम होगी। तब 23-24 साल के अत्यंत प्रतिभाशाली श्रीमान क्रांतिवीर की विभाग में एंट्री हुई और कर्मचारियों की समस्याओं को खुल के रखने की कला में पारंगत होने के कारण अत्यन्त लघु समयांतराल में वे यूनियन के नए अध्यक्ष बन गए। अधिकारियो के AC, Tour और Five Star meeting के बजट को कर्मचारियो के कार्यस्थल के Infrastructure development में लगवाने जैसे कार्यो को करने के कारण कर्मचारियो के पसंदीदा चरित्र बन गए लेकिन अधिकारियो की आंख की किरकिरी। कालान्तर में श्रीमान क्रांतिवीर को अपने अजेय होने का गुमान हो गया और कर्मचारी हित के मुद्दे पे Top लेवल से सीधे टक्कर लेने लगे। एक दिन पता चला कि नशा उन्मूलन विभाग वालो ने उनकी सायकिल के गद्दी से गांजा बरामद कर लिया है और श्रीमान क्रांतिवीर NDPS Act में श्रीकृष्ण की जन्मस्थली में शिफ्ट कर दिए गए है। सभी कर्मचारी अपने दैनिक कार्यो में व्यस्त हो गए जैसे कुछ हुआ ही नही। कोई मिलने नही गया क्योंकि साइकिल, मोटर सायकल और कारें सभी के पास थी।
सुना है श्रीमान नेतामल फिर से अध्यक्ष चुन लिए गए है।

--नीलेश मिश्रा





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